कविता

कविता : मित्र की मुस्कान

मित्र स्नेह का झरना है
और मित्र गुणों की खान
मित्रों से ही है समाज में
हम सब की पहचान
कर सकता हूँ इसकी खातिर
मैं जीवन कुर्बान
प्राणों से प्यारी है मुझको
मित्रों की मुस्कान

शब्द नहीं एहसास हैं वो
सच्चाई और विश्वास हैं वो
धूप में हैं छाँव जैसे
दुख में सुख का आभास हैं वो
इनकी उपस्थिति से बढ़ जाए
हर अवसर की शान
प्राणों से प्यारी है मुझको
मित्रों की मुस्कान

कभी पिता-सा डाँटते हैं
कभी माँ-सी चिंता करते हैं
कभी सहारा बनें भाई-सा
कभी बहन सा लड़ते हैं
रखना बहुत सहेज के तुम
ईश्वर का ये वरदान
प्राणों से प्यारी है
मुझको मित्रों की मुस्कान

मित्रता कपाल का चंदन है
जन्मों-जन्मों का बंधन है
देवों को भी जो दुर्लभ है
उस भाव को मेरा वंदन है
कहा कृष्ण ने बाल-सखा से
सुदामा सुन धर ध्यान
प्राणों से प्यारी है मुझको
मित्रों की मुस्कान

मित्र स्नेह का झरना हैं
और मित्र गुणों की खान
मित्रों से ही है समाज में
हम सब की पहचान

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

One thought on “कविता : मित्र की मुस्कान

  • विजय कुमार सिंघल

    एक और अच्छी रचना।

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