परित्यक्ता
जूड़े में टाँक लिया करती हु
अपनी बेबसी , अपने दर्द और टूटी उम्मीदें
रबड़ से अच्छी तरह बांध कर
बालो में सब पिरो कर
पिन से टाँक देती हु कुछ लम्हो के लिये
पर नही रख पाती ज्यादा देर तक
क्योकि —-
हथौड़े की तरह वार करती है वो वहाँ भी
घबरा कर आज़ाद कर देती हूं
तो उलाहना देती है —
कितना दम घूट रहा था बंध कर जानती हो
नही जानती ?
क्यो नही विसर्जन कर देती उन बातो का
नदी में बहा कर मुक्त हो जाओ
ओर
समझा लो खुद को की परित्यक्ता हो !!