कविता

अच्छा होगा

मन के परिंदे ने अभी तक
हौसला नहीं खोया है,
उसका आत्मविश्वास
अभी नहीं सोया है।
थोड़ा डगमगा जरूर रहा है
पर पीछे हटने का मन भी
भला कहाँ हो रहा है?
क्योंकि
अभी भी उम्मीद का जुगून
दूर ही सही चमक रहा है,
बस मात्र यही चमक
हौसला बढ़ा रहा है।
मन का आत्मविश्वास
फिर से मजबूत हो रहा है,
कालिमा छँटेगी,प्रकाश फैलेगा
चेहरों पर छाई निराश की जगह
मुस्कान फिर से होगा
न विश्वास टूटा है,न टूटेगा
कुछ भी हो जाय आस न छूटेगा
शायद इसीलिए
धैर्य मजबूत हो रहा है,
आने वाले हर पल के साथ
निश्चित ही कल अच्छा होगा
हर चेहरे पर मुस्कान
हर ओर खुशियों का डेरा होगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921