आशंका
गिरती है बादल से
पानी की एक बूंद
जब
कई प्रश्न होते है
उसके मन में
किसी मरुस्थल में गिर कर
सूख जायेगी वो
अग्नि की ज्वाला
में गिरकर
भस्म हो जाएगी
यां किसी काटे पे गिरकर
तार तार हो जायेगी
परंतु जब वो गिरती है
समुंदर की किसी सीप पर
और बन जाती है मोती
तब सोचती है
सफल हुआ उसका जीवन
व्यर्थ थीं आशंका उसकी
आशंकाए कुछ भी हो हमारी
निर्णय तो
निर्णायक का है
उसे करना क्या है
मरुस्थल में मिलाना है
या फिर सीप बनाना है