मुक्तक/दोहा

हमने भी सीखा- 14

मुक्तक

अब तो मौन रहना
आजाब लग रहा है
कब तलक मौन रहेंगे हम
इस आजाब से आजाद करना
तेरे ही बस में है

प्यार की थपकी ही दी होती
तो निंदिया ले लेती आगोश में
अब तो दिन तेरी ताक में गुजरता है
रातें आक्रोश में

जिंदा हैं इसी आस में
कभी तो मिलोगे
सपने में ही सही

प्यार ही जिंदगी है
सबका कहना है
हम तो तुम्हारी प्रतीक्षा ही करते रह गए
हमने जिंदगी जी ही नहीं
यह हमारा एहसास है

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244