कविता

दिल लगी हमारे दिल की

दिल लगी हमारे दिल की – कहीं बन ना जाए दिल की लगी
सज़ा अैसी ना दो हमारे दिल को – अपने दिल की बे रुख़ी के लिये
वक़त इनतज़ार नही करता कभी भी – किसी का इस दुनिया में दोसतो
हशर कया हो गा इस जवानी का – सोच लो घडी भर के लिये
इज़हार जब भी किया हम ने अपनी मुहबबत का – बुरा मान गैये आप
ज़िनदगी आसान होने वाली नही है – अब इस दुनिया में रैहने के लिये
सामना इस दुशवार ज़िनदगी का – करना पडे गा आप ही को
साथ चलते रैहना वक़त के – अब तो बेहतर है आदमी के लिये
किस काम की यह ज़िनदगी – अगर साथ दोसतों का नही दुनिया में
ज़िनदगी तो क़ुरबान की जाती है – दुनिया में सिरफ़ दोसतों के लिये
हुनर आना चाहिये आप को – ज़िनदगी में साँप के फन को कुचलने का
छोडा जाता नही साँपों के ढर से – कभी भी जंगलों मे जाने के लिये
बुहत दुशवार आईने से रू बरू होना – आज की बे दरद दुनिया में
रंग ज़िनदगी के सही यह ही तो – सामने लाता है आप के लिये
पयार हर कोई ढूंढता है दुनिया में – अपना तनहा ज़िनदगी के लिये
वीराने में लगे शजर भी तो तरसते हैं – हमेशा ही बारिश के लिये
थे कभी जो अपने – वोह तो मिल गैये हैं ग़ैरों में ‘मदन’
तलाश में हैं जो अपनों की – पता उन को अपना नही है
दुनिया यह पयार की कम नही है – किसी भी जनत से
यूं ही बे वजाह ज़रूरत नही है ढरने की – इस दुनिया में रहने के लिये

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570