अच्छा लगता है
सर्द सर्दियों की रातों में रजाई में दुबकना अच्छा लगा हैं
वो तेरा अपनी बाहों में मुझे समेटना अच्छा लगता है !
गुनगुनाती सी किसी सर्द सुबह में मुझको जागाते हुए कहना
सुनती हो थोड़ा सा चाय बना देना — सुनना अच्छा लगता है !
मेरे बनाए सादा से खाने को रोज बड़े चाव से खाना
और कहना तुम्हारे हाथों में बड़ा स्वाद — अच्छा लगता है !
दिन भर थक-हार कर दफ्तर से आना और
भोली -सी हंसी के साथ घर में दाखिल होना — अच्छा लगता है !
घर गृहस्थी के कामों से जब थकान -सी महसूस होती है
तुम्हारा ये कहना -थोडा आराम कर लिया करो — अच्छा लगता है !
कड़कती ठंड की सुबह में अपने गर्म हाथों में
मेरे ठंडे हाथों को लेकर गर्म करना – अच्छा लगता है !
बड़ी बड़ी खुशियों की क्या बात है कहूं
तुम्हारा मेरी छोटी -छोटी खुशियां की परवाह करना — अच्छा लगता है !
खुबसूरत न हो कर भी तेरे आंखों में
खुद को खुबसूरत दिखना — अच्छा लगता है !
तुम्हारे जिंदगी में मेरी कितनी अहमियत
तुम्हारा यह हर बात में जताना — अच्छा लगता है !
— विभा कुमारी “नीरजा”