लघुकथा – दूहाजू वर
“क्या कर रही हो डार्लिंग ? मुझे आये हुए आधे घंटे से ऊपर हो गये हैं । एक कप चाय
Read More“क्या कर रही हो डार्लिंग ? मुझे आये हुए आधे घंटे से ऊपर हो गये हैं । एक कप चाय
Read More“सुनो बाबूजी आये हैं, समझ में नहीं आता कि वेज़ किचन अलग से कहाँ बनाऊँ ? हमारे रसोईघर में तो
Read Moreकल मिनाक्षी अपने शादी की सालगिरह पर बृद्धाश्रम गई । वहाँ बूढ़े बेबस और असहाय बृद्धों को देखकर रोना आ
Read Moreघड़ी की सुई एक बजा रही थी ,नींद आँखों से कोसों दूर ।बावड़ा मन किसी निश्चय की घड़ी की तलाश
Read More“सुनिये ना क्या तय किये आप ; मानती हूँ सारी गलती हमारी है। घर छोड़ने को मैंनें ही आपको मजबूर
Read Moreदीपावली का दीया खरीदने आकाश बाजार में जगह जगह घुम रहा था । पर यादों में बसी मिट्टी की महक
Read More“लगता है दादू की उल्टी सांस चल रही है, पापा ! डॉक्टर को खबर किजिये ।” “नहीं ; अब डॉक्टर
Read Moreगर्मी की छूट्टियां शुरू होने वाली थी , गोलु आज खुद को बहुत हल्का महसूस कर रहा था । ढ़ेरों
Read Moreउसकी प्रिय पत्रिका सुबह सुबह डाक से आ गई थी , स्वरचित लघुकथा को भी स्थान मिला था ,समीक्षक के
Read More