“मुकरियां”
मन मह छाए रहता नितप्रति बहुरि करूँगी उससे विनती कह सुन लूँगी उससे बाता है सखि साजन, नहि सखि दाता॥
Read Moreमन मह छाए रहता नितप्रति बहुरि करूँगी उससे विनती कह सुन लूँगी उससे बाता है सखि साजन, नहि सखि दाता॥
Read Moreआज मजदूर दिवस पर सभी मजदूर भाई बहन को सादर प्रणाम, एवं हार्दिक बधाई मजदूरों की मज़बूरी को, समझो भी
Read Moreचिंतन यू होता नहीं, बिन चिंता की आह बैठ शिला पर सोचती, कितनी आहत राह निर्झरणी बस में नहीं, कमल
Read Moreइच्छा है कि आज बने, लिट्टी चोखा दाल मित्र मंडली साथ में, जमकर होय निहाल बैगन आलू का भरता, लाल
Read More“वार्ता” सूरज- कैसी हो चाँद, आज दिन में कैसे????? चंदा- गर्मी,, बहुत गर्मी चढ़ी है तुमको, खूब तपा तो
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