एक एहसास …………….
तमन्नाओं के बल पर हो जाते खड़े महल तो कोई झोंपड़ी न होती गर उम्मीद से लहलहा उठते हरे भरे
Read Moreतमन्नाओं के बल पर हो जाते खड़े महल तो कोई झोंपड़ी न होती गर उम्मीद से लहलहा उठते हरे भरे
Read Moreमासूम दुधमुहाँ बचपन क्रेच और डे केयर की भेंट चढ़ा मासूम गुमसुम बचपन जिन नन्हे फूलों को खिलना पनपना चाहिए
Read Moreछुप-छुप छम- छम बरसा करती थीं जो अँखियाँ कहती हैं मुझसे अब मुस्कुराने को मन चाहता है कहती है सिसकती
Read Moreकैसी विडंबना है ये कहीं तरसते हाथ लरसती आँखें माँ बाप की गोद पाने को औलाद और कहीं जन्म होते
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