मेरे आंगन में
घटायें साजिश कर रहीं मेरे आंगन में,बारिश रह-रह बरस रही मेरे आँगन में।बिजली की चमक तन-मन थरथराहट,बड़ी सुन्दरतम बूँदे गिर
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Read Moreविष्णु ने काटा असुर सिर,सिर गाड़ दिया मंदराचल परजीत सभी संक्रान्ति पर्व मनाये,रवि उत्तरार्द्ध होकर मकर जाए । चीनी की
Read Moreनादान ह्दय बेचैन हुआ,बताओ कैसे हम बहलाएं ।।1। रोक रखा है कुछ तुमको,कैसे प्रेम उसे समझाए ।।2। ऋतु की तरह
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Read Moreरूप सुधा का पान करा दो प्रियतम,तृप्त हो तीर्थ बन जाएगा ये मन।1। रोम-रोम आह्लादित, उर प्रेम विकसित,चमकता दमकता, अलौकिक
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