जिन्दगी क्यूं व्यस्त है
हे जिन्दगी तुँ इतना क्यूं है व्यस्त दिन रात मिहनत से मानव है पस्त तुम्हें नहीं कुछ आराम है
Read Moreहे जिन्दगी तुँ इतना क्यूं है व्यस्त दिन रात मिहनत से मानव है पस्त तुम्हें नहीं कुछ आराम है
Read Moreमिहनत को अपना हथियार बनाओ जीवन में सफलता का जश्न मनाओ मिहनत है जग में वो एकमात्र सोपान बुलंदी पर
Read Moreबुरे काम का होता है बुरा नतीजा आज मीठा है पर कल होगा तीता सोंच विचार कर जग में
Read Moreटूट रही है वादों की लड़ी छुट गई यादों की घड़ी जब से हुई तुँ तलबगार मोहब्बत की टुटी संसार
Read Moreप्रकृति की है सब खेल निराली कुछ है भरा पूरा कुछ है खाली हर सुबहा की यहाँ होती है शाम
Read Moreदफ्तर अब हमें नहीं है जाना परदेश हो गया अब ये जमाना फाईल से मिल गई छुटकारा जीवन हो गया
Read Moreछेड दो साथी कोई राग पुरानी जिसमें छुपी है अपनी प्रेम कहानी गाँव की पहाड़ी पे थी जो निशानी जहाँ
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