पांखड
धर्म के नाम पर करते खिलवाड़ उल्टा सीधा कर्म है इनका संसार भूल गये साधु संत का संस्कार कानून का
Read Moreढुँढ रहा हुँ तुम्हें मैं वन उपवन ख्वाबों में बसी हो बन दुल्हन सामने आ जा अब मेरे सनम क्यूँ
Read Moreगहरी नदिया सागर है गहरा जमाने की नजरों का पहरा कैसे प्रिये तेरी दीदार करूँ प्रेम का कैसे मैं इजहार
Read Moreबुला रही है गॉव की मिट्टी वापस आ जा मेरे परवाज गाँव की मिट्टी में भी है रोटी झाँक कर
Read Moreहे जिन्दगी तुँ इतना क्यूं है व्यस्त दिन रात मिहनत से मानव है पस्त तुम्हें नहीं कुछ आराम है
Read Moreमिहनत को अपना हथियार बनाओ जीवन में सफलता का जश्न मनाओ मिहनत है जग में वो एकमात्र सोपान बुलंदी पर
Read Moreबुरे काम का होता है बुरा नतीजा आज मीठा है पर कल होगा तीता सोंच विचार कर जग में
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