लघुकथा – राष्ट्रीय कवि
यूँ तो कवितापुरम् शहर पुराने समय से साहित्यकारों की भूमि रहा है वर्तमान में भी चार-छ कवि देश में अपनी
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Read Moreलाॅक डाउन के चलते सूनी सड़कें, सूनी गलियां आजकल एक आम बात हो गई । कहाँ तो आवारा जानवरों को
Read Moreबसंत तुम आये हर वर्ष की तरह पर फुर्सत ही कहाँ है ? आज के इंसान को तेरे स्वागत की
Read Moreतेल रीत गया दीपक का कुछ बाकी मुझमें इसलिए जल रही नाम हो रहा फिर भी उसका जो जला कभी
Read Moreहम भी हिन्दी तुम भी हिन्दी हिन्दी अपनी पहचान है हिन्दी भाषा हिन्दी अभिलाषा हिन्दी से हिन्दुस्तान है हिन्दी भाने
Read Moreउड़ान उसके संग मैंने भी भरी थी पंख मैंने भी फड़फड़ाये उसके संग पर वो मंजिल पा गया मैं रह
Read Moreयद्यपि कई बीमारियों का घर हैं मेरे दोस्त का शरीर जाँच में आज सामने आया कि वो झूठ भी बोलता
Read Moreना किस्मत ना कोई, भाग्य हुआ करता है कर्मो का प्रतिफल, परिणाम हुआ करता है हर पल निज कर्मो की,
Read Moreसूरज का कोप गर्मी बन बरस रहा धरती का आँचल पानी बिन तरस रहा वक्र हवा सर्पिणी सी
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