लघुकथा – अंतर्ध्वनि
“वकील साब पैसा भले ही,कितना भी खर्च क्यों न हो जाए, पर मेरे बेटे का बाल भी बांका नहीं होना
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Read More“प्यार की मजार पे चढ़ाए गए फूल भी फूल ही होते हैं,जो बीतते वक़्त के साथ मुरझाने लगते हैं। जो
Read More”भाई, आज बड़े हर्ष के साथ देश-विदेश में रक्षाबंधन का पावन त्योहार मनाया जा रहा है, पर देख रहा हूं,
Read Moreराखी का त्योहार आने ही वाला था. रंगबिरंगी राखियों से बाजार सजे हुए थे. मैंने भी कुछ राखियां घर में
Read More”हे भगवान, मालिक की छोटी-सी पोती दरिया की लहरों में घिर गई है, अब क्या करूं?” फ्रांस के एक पालतू
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