कविता : सवाल कईं
उलझन मन की सुलझ न पाए… कहूँ या छुपा लूँ हैं ऐसे ख़याल कईं !! तरसती आँखें रस्ता निहारें… मिलोगे
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Read Moreमाटी की हांडी *************** जरा सी आग बची थी चूल्हे में तो सोचा क्यों इस तपत को बेकार जाने दूँ
Read Moreसुबह की किरणों ने खुशबू बिखेरती यहाँ आ रही है। चिड़ियों की मधुर आवाज़ ने अपनी वाणी सुना रही है।
Read Moreद्वेषाग्नि में जलता हुआ, हर वक्त चिंता, तनाव में रहता है, जो न मिला उसका गम है, जो मिला वो
Read Moreले रंग-गुलाबी उड़ा रहे हैं इधर……॥ ••••••••••••••••••••••••••••• मौज मस्ती का गूँजे तराना इधर। लोग बना रहे है अफसाना इधर। उमंग
Read Moreआज जंगल में अखबार आया है, समाचार पढ़ कर जंगल में मातम छाया है— जंगल का हर जानवर जैसे इंसान
Read Moreमरे हुए को उठाती है जिंदा को गिराती है कैसी है ये दुनिया एक इंसान सोता है ,एक जाग कर
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