परशुराम का संताप
# परशुराम का संताप यह संताप प्रबलतम् हृदय विशद का अमिट कलंक यह मुझ पर मातृ वध का सत्य है
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Read Moreमुंह से एक शब्द ना निकला भारत माता के बंटने पर, कब किसने आंसू छलकाया मेरे जिस्मो केे कटने पर।
Read Moreमकरन्द पान करते भ्रमर इठलाती-मँडराती तितलियाँ कुहू-कुहू की टेर लगाती कोयलिया प्रेम आलिंगन करती गौरैया अब ये सब कहाँ चले
Read Moreगरीबी की बस इतनी सी कहानी है | हाथ में दबे दो मुट्ठी चून की , मंदी सी आंच पे
Read Moreये हाथों की कालिख तो पौरुष की निशानी है। पके है श्रम की आग से ये निर्माण की हर प्रक्रिया
Read Moreजागती ही रही ,रात मद से भरी मन की कोकिल, विरह राग गाती रही। तुम न थे, पर चकोरी भरी
Read Moreअद्भुत है जीवन की सीढ़ी पार करते ही एक दूसरी आ जाती है सभी की है अपनी मंजिल सभी का
Read Moreमां मैं तुम्हारे अंदर हूं मुझे मत मारो मैं भी जीना चाहती हूं दुनिया देखना चाहती हूं मां मैं तो
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