शुद्ध गाँव बनाम मिलावटी गाँव
‘ढिंचक … ढिंचक …’ कुछ इसी प्रकार की आवाज़ से ध्यान भंग हुआ था नये बंगले में रहने आये परिवार
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Read Moreकल रात तुम आये थे! कितना असहज सी हो गयी थी, पल दो पल को ! जानती हूं जरूर कोई
Read Moreझमाझम बारिश हो रही थी और बादल गरज रहे थे। पल भर में आपे से बाहर मनु तेज़ ट्रक चलाता
Read Moreआज फिर मासूम नमिता गोत्र की बलि चढ़ गई। एक तो गरीब मां-बाप ऊपर से दहेज लोभी समाज। स्वगोत्र में
Read Moreअभी-अभी अनुषा का छोटा-सा मैसेज आया था- ”आंटी जी, बहुमूल्य परामर्श के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया, मेरा माइग्रेन अब ठीक हो
Read Moreहोलिका दहन का वह दिन, मैं घर पर ही था। डॉक्टर तो पहले ही जवाब दे चुके थे। बात केवल
Read Moreबाल्यावस्था की बात करूँ तो सबसे बड़ी विडम्बना होती है मानव बुद्धी का तेज विकास और उसी अनुपात में अनुभवशून्यता
Read Moreइनाम की अठन्नी आज से लगभग पचास वर्ष पूर्व की बात है, जब मैं छठी कक्षा में पढ़ती थी। तब
Read More”हौसला है तो हम हैं, हौसले की शमा जलाए रखिए, ये वो रोशनी है, जिसे तेल-बाती की दरकार नहीं.” हौसले
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