लघुकथा : भूमिका
“आज तो तुम बहुत खुश होगी. माँ-बाबूजी गाँव लौट रहे हैं! “पर क्यों”? “गुनाह करके मासूमियत से पूछ रही. क्यों”?
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Read Moreराखी की बात सुनकर पांडेयजी थोड़ा चौंकते हुए से बोले ” क्या कह रही हो बेटा ? उसे कैसे बचा
Read Moreशादी के बाद दूल्हा दुल्हन स्टेज पर बैठे हुए थे सभी लोग उन दोनों को और उनके माता पिता को
Read Moreदीपक के साथ हुए झगड़े में संध्या ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया । वह जरुरी सामान बैग में
Read Moreदयाल बाबू की बातें सुनकर राखी को यह अंदाजा तो हो ही गया था कि उसके ससुर को उसका फैसला
Read Moreकचहरी में ज्यादातर वक़ील सारा दिन ख़ाली ही बैठ कर चले जाते हैं| उनके पास सामाजिक, राजनीतिक और क्रिकेट की
Read Moreघर की बालकनी की खिड़की खोली बाहर का दृश्य देख मुंह से निकल पड़ा – देखो चीकू के पापा कितना
Read Moreदिल भी टूटा था दोनों का, मालूम तुमको भी था, और मालूम हमको भी था तुमने भी कुछ खोया था
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