पानी की जात
पिंकी बर्तन पकड़े चुपचाप अपनी अम्मा के पीछे चल रही थी। आज फिर पानी लाने के चक्कर में उसका स्कूल
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Read Moreआज हरिया जेल में बैठा-बैठा प्लास्टिक की निवाड़ से टोकरियां बना रहा था. कल पत्थर तोड़ने का काम मिला था,
Read More“रामदीन जी, क्या हो रहा है |” कुछ नहीं कृष्ण दास जी, लड़के को कंपनी दोगुना पॅकेज का आँफर देकर
Read Moreरात के दस बजे सुमन की आँखों मे नींद कोसों दुर थी. ऊँगली के पोरों पर गिनकर दिन कट रहे थे
Read Moreरात के ग्यारह बज रहा होगा , सिरहाने तकिये के पास रखा मोबाइल बज उठा, नींद मे अधखुली आँखों से मैंने देखा
Read Moreआज लपलपाती गर्मी में, तपती दोपहरी में, धूँआ सुलगाती सड़क के किनारें पसीना पोछते हुए झिनकू भैया दिख गए। ताज्जुब
Read More“तुमने इस स्कूव में दाखिला क्यों लिया। यहाँ पढ़ाई नहीं होती है।” राजेश ने अपने चचेरे भाई विपिन से कहा।
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