इंसानियत — एक धर्म ( षष्ठम भाग )
दरोगा श्रीवास्तव ने असलम की पूरी बात ध्यान से सुनी । एक सिपाही ने उसके पुरे बयान को कलम बद्ध
Read Moreदरोगा श्रीवास्तव ने असलम की पूरी बात ध्यान से सुनी । एक सिपाही ने उसके पुरे बयान को कलम बद्ध
Read Moreआज सुबह- सुबह मेरे प्रिय झिनकू भैया का गाँव से फ़ोन आया, स्क्रीन पर उनका नाम उभरा और मेरी बांछे
Read More‘सुनती हो!’ ‘हाँ कहो!… क्या बात है?’ ‘लगता है मेरी चप्पलें घिस गयी हैं| अभी-अभी बाथरूम में फिसलते-फिसलते बचा हूँ|’ ‘शाम
Read Moreसंजय बहुत देर से सड़क किनारे खड़ा किसी सवारी गाड़ी या वाहन के आने इंतज़ार कर रहा था| जून की
Read Moreचंदू : माँ ज़ोरों की भूख लगी है कितनी देर लगेगी और ? बिंदिया : बस बेटा पांच मिनट आटा
Read Moreउसने कुल पंद्रह बसंत ही देखे थे कि पति ने परस्त्री के प्रेम – जाल में फँस कर उसे त्याग
Read More“क्या मैं आपको आगे कहीं छोड़ सकता हूँ?” उसने कार ठीक उसके करीब रोकते हुए मीठी आवाज में कहा। फ्लाईओवर
Read More‘अनवर भाईजान फ़ौरन आओ!’ रात १० बजे अनवर को अपने दोस्त असलम की बीवी सलमा की घबराई सी आवाज फोन
Read Moreरामनगर से प्रताप गढ़ की तरफ जानेवाले राजमार्ग पर शहर से नजदीक ही उस जगह पर जहाँ रमेश और राखी
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