लघुकथा : और दोनों फिर से बच्चे बन गए
उस दिन सुयश (40)और महेश(45) का खूब जमकर झगड़ा हुआ । दोनों की लाल आँखों से क्रोध तांडव कर रहा
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Read Moreभाग दौड़ बस,कहीं नहीं दिखता कोई ठहराव! जाने किस लिए है इतनी भाग दौड़। क्या पहले समय में इन्सान ज़िंदगी
Read Moreओ३म् यात्रा वृतान्त हमने जुलाई, 1972 में देहरादून के दयानन्द ब्रजेन्द्रस्वरुप कालेज में विज्ञान स्नातक कक्षा में प्रवेश लिया था।
Read Moreधन्ना सेठ अभी नए आए हीरों को लेंस के नीचे रख-रख कर परख रहे थे। परख क्या रहे थे; बस
Read Moreपिंकी की शादी हो गई थी और दुसरे दिन सम्धिओं की ओर से उन के घर के सभी सदस्यों और करीबी
Read Moreअमरीकी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आये, साथ में एक बेशकीमती उपहार लेकर आये. उपहार क्या था एक अमरीकी नस्ल
Read More” बहन जी , हम इस लायक नहीं है की आपकी हैसियत के हिसाब से शादी कर सकें …हमारी
Read Moreसुधा और अलका दोनों पड़ोसी एक दूजे के सुख दुःख में हमेशा साथ होते। सुधा की बिटिया जब-जब बिमार पड़ती,
Read Moreपिंकी की मैरेज रजिस्ट्रेशन के बाद सब कुछ नॉर्मल हो गया था। पिंकी रोज़ाना फिर से काम पे जाने लगी
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