सावन का छन्द (अवधी पंच)
सावन मा घनघोर घटा खुब झूम के बारिश लाय रही,बरसै बुन्दियाँ रिमझिम- रिमझिम, टिप- टिप कर गीत सुनाय रही,सुगना कर
Read Moreसावन मा घनघोर घटा खुब झूम के बारिश लाय रही,बरसै बुन्दियाँ रिमझिम- रिमझिम, टिप- टिप कर गीत सुनाय रही,सुगना कर
Read Moreउपवन में कलियाँ खिलीं,बगरी विमल बहार।रिमझिम रह-रह दौंगरे, खोल रहे नव द्वार।।खोल रहे नव द्वार, भेक टर-टर-टर बोलें।कर भेकी आहूत
Read Moreजनक दुलारी, हे सुकुमारी,कैसे तुम,वन को जाओगी।पंथ कटीले,अहि जहरीले,कैसे तुम,रैन बिताओगी।।सुन प्रिय सीते, हे मनमीते,आप वहाँ,रह ना पाओगी।विटप सघन है,दुलभ
Read More(1) मसिजीवी हैं जो श्रमिक,उनको नम्र प्रणाम। दूर करें अड़चन सभी,उनकी प्रभु श्रीराम।। उनकी प्रभु श्रीराम,कीर्ति फैलायें जग में। लेखन
Read Moreसिसक रही हैं आतिशी, रोवें भारद्वाजबिलखि रहे गोपाल जी, मान दिखें नाराजमान दिखें नाराज, भारती पीटें छातीये शराब का नशा,
Read Moreपरमात्मा के अंश हैं, आत्मा के हम रूप।अन्दर यदि झांक लें, शक्ति भरी अनूप॥शक्ति भरी अनूप, भाव हो यदि पाने का।सत्पथ
Read Moreआत्मा की है सम्पत्ति,दर्शन, चरित्र और ज्ञान,अपने अन्दर झांक कर,स्वयं की कर पहचान।स्वयं की कर पहचान,कि कैसे भूल गया है,सत्पथ
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