सिहरी छंद
तारणहारे गणेशजी पधारो हर द्वार चौखट, महके मुस्कुराहट गणेश उत्सव गूंजे निरर्थक फिल्गी गीत कर्कश संगीत पथरीली नगरी, उबड़
Read Moreधन बरसत तब जब धन हरषत,नमन करत जग,हरदम शत-शत। शत दल कमल बसत, अब तजकर,मम पर धर कर, हम सब
Read More1-कहते ज्ञानी लोग हैं, अजब गजब संसार।दुनिया लोभी लाभ की, यही दिखे व्यापार।यही दिखे व्यापार, मोह के सारे मारे।मन्दिर जाते
Read Moreसावन मा घनघोर घटा खुब झूम के बारिश लाय रही,बरसै बुन्दियाँ रिमझिम- रिमझिम, टिप- टिप कर गीत सुनाय रही,सुगना कर
Read Moreउपवन में कलियाँ खिलीं,बगरी विमल बहार।रिमझिम रह-रह दौंगरे, खोल रहे नव द्वार।।खोल रहे नव द्वार, भेक टर-टर-टर बोलें।कर भेकी आहूत
Read Moreजनक दुलारी, हे सुकुमारी,कैसे तुम,वन को जाओगी।पंथ कटीले,अहि जहरीले,कैसे तुम,रैन बिताओगी।।सुन प्रिय सीते, हे मनमीते,आप वहाँ,रह ना पाओगी।विटप सघन है,दुलभ
Read More(1) मसिजीवी हैं जो श्रमिक,उनको नम्र प्रणाम। दूर करें अड़चन सभी,उनकी प्रभु श्रीराम।। उनकी प्रभु श्रीराम,कीर्ति फैलायें जग में। लेखन
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