आत्मनिर्भर देश !
वे रोज दोस्तों के साथ ताश खेलते हैं, फिर घर आते हैं, बीवी को पीटते हैं, क्योंकि वे आज चौका-बर्त्तन
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Read Moreस्कूल में जब पढ़ता था सह-शिक्षा की परंपरा थी साथ थी छात्राएँ तब जमीन पे नजर गड़ाएं रहती थी वो
Read Moreऐसे काव्यरस की सर्जना करूँ बीते सालों के यौन-रसीले सेक्स-बुखारे भी कथावाचक, संपादक, और कानून के साहब, साहित्यकार भी उन्मत्त
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Read Moreआदरणीय माननीयों की संपत्ति/सुख/सुविधाएँ करोड़ों में हैं, अरबों में हैं, पर उन माननीयों के आगे राष्ट्रनिर्माता शिक्षक निरीह हैं !
Read Moreमटरगश्ती करती कुछ कविताएँ….. 1. झोलाछाप डॉक्टर मुम्बई में नहीं रहता ! रूरल एरिया का झोला छाप डॉक्टर हूँ, गोकि
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