क्षणिका *सविता मिश्रा 25/12/201526/12/2015 यूँ ही लोग बड़ी जल्दी बदल जाते हैं जिसे अपना समझो वह किनारा कर जाते हैं| बड़े कातिल है लोग बोलते भी Read More
क्षणिका अनिता मण्डा 16/11/2015 क्षणिकाएँ ‘ ख़त’ ये सूखे हुए पत्ते मुहब्बत भरे ख़त हैं जो कभी लिखे थे बहार ने मौसम के नाम पढ़ Read More
क्षणिका नीरजा मेहता 01/11/201501/11/2015 क्षणिकाएँ (1) प्रीत की रीत मन बदरंग, जुबां काली दिल में पाप, कर्मों में छल कौन अपना, कौन पराया पीठ पीछे Read More
क्षणिका कामनी गुप्ता 15/10/2015 क्षणिकाएं….. १ करके खता भी हर बार तुम खफा होते रहे , तेरी राहों में चिरागे रोशनी फिर भी ना हमने Read More
क्षणिका अनिता मण्डा 14/08/2015 क्षणिका क्षणिका खून से सींच उगाया है दरख़्त उसकी कोई भी शाख़ हिला दो फूल नहीं केवल लम्हे झड़ते हैं लम्हों Read More
क्षणिका कन्हैया प्रसाद तिवारी 13/08/201513/08/2015 छलिया छलिया मेरा दिल द्रवित करके सबकुछ ले गया छोडा तो सिर्फ मन में पछतावा “मैंने उसपर क्यों भरोसा किया“? Read More
क्षणिका रितु शर्मा 07/08/2015 क्षणिका कल रात सपने में पाँव देखे थे…. चारों तरफ आसमान था सिर्फ आसमान… जब मैंने पाँव के बदले पंख मांग Read More
क्षणिका कामनी गुप्ता 06/07/201527/07/2015 क्षणिका बाँट सकु गम तुम्हारे बस इतनी तमन्ना है, खुशियों में गर शामिल ना करो तो कोई गम नहीं है ||| Read More
क्षणिका रितु शर्मा 06/07/201504/07/2015 क्षणिका सूरज को मान हैं अपनी रौशनी पर शायद उसने अभी तेरी चाहत को मेरे पहलू में नही देखा ….!! …रितु Read More
क्षणिका रितु शर्मा 05/07/201504/07/2015 क्षणिका ईश्वर ने जड़ों में दुख कुछ वैसे ही डाला जैसे बड़ी श्रद्धा से सीधा आंचल कर तुलसी में जल देती हू Read More