“बहारों की बात करते हैं”
फलक पर चांद सितारों की बात करते हैं बाग में आए बहारों की बात करते हैं, रात के स्याह अंधेरों
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Read Moreकहीं सूखा, कहीं पर बाढ़, बहुत बेकार लगता है। घुटे प्रतिछन जब जिनगी, बुरा संसार लगता है।। भरी नफरत दिलों
Read Moreन आगे न पीछे, चलिए, वक्त के साथ साथ। दोस्तों खुद को बदलिए, वक्त के साथ साथ। कभी कभी जीत
Read Moreमेरे मन में झाँका ही कब तुमने मुझको समझा ही कब कहते हो मैं गैर नही हूँ तुमने अपना माना
Read Moreयह कौन मेरी राह से काँटे हटा गया कदमों के तले कौन भला दिल बिछा गया। ये किसकी सदा है
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