मेरे मन में झाँका ही कब
मेरे मन में झाँका ही कब तुमने मुझको समझा ही कब कहते हो मैं गैर नही हूँ तुमने अपना माना
Read Moreमेरे मन में झाँका ही कब तुमने मुझको समझा ही कब कहते हो मैं गैर नही हूँ तुमने अपना माना
Read Moreयह कौन मेरी राह से काँटे हटा गया कदमों के तले कौन भला दिल बिछा गया। ये किसकी सदा है
Read Moreजान लेंगी मेरी आज ये हिचकियां याद आती रही वस्ल की मस्तियां रास आने लगी जब से तन्हाइयां फुसफुसाती रही
Read Moreकीजिए ना बात हमसे, तीर और तलवार की है बहुत ताक़त बड़ी, इस लेखनी की धार की। ज़ख़्म क्या नासूर
Read Moreशिक़ायत पर शिक़ायत कर रहा है अभी भी वो मुहब्बत कर रहा है बड़ी मेहनत-मशक्कत कर रहा है वो ख़्वाबों
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