इस जहाँ में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना
इस जहाँ में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना या रात की ख़ामोशी सुनता है कोई और भी आसमान के नीदों
Read Moreइस जहाँ में ख़लिश मैं ही हूँ दीवाना या रात की ख़ामोशी सुनता है कोई और भी आसमान के नीदों
Read Moreबेला, जुही, चमेली, चम्पा, हरसिंगार लिख दे कैसे कोई शायर पतझर को बहार लिख दे उसको खुदा ने आँखें दी
Read Moreगुनहगारों का गुनाह क्या असर लाता है कि सारा शहर ही बियाबां नज़र आता है जो कदम गई यहाँ से
Read Moreजख्म देकर मुस्कुराना आ गया । आपको तो दिल जलाना आ गया ।। क़ाफिरों की ख़्वाहिशें तो देखिये । मस्ज़िदों
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