मेरे चौथी ग़ज़ल
फर्श से अर्श तक पहुँची हूँ, वापस फर्श तक पहुँचना बाक़ी है। हक़ीकत देखना है अभी कि अभी तो झूमा
Read Moreफर्श से अर्श तक पहुँची हूँ, वापस फर्श तक पहुँचना बाक़ी है। हक़ीकत देखना है अभी कि अभी तो झूमा
Read Moreसोचती हूँ इक कहानी लिखूं तेरी और मेरी जुबानी लिखूं लिखूं हाल ऐ दिल अपना या सपनों की रवानी लिखूं
Read Moreदर्द ए बेहिसाब को कुछ यूं सम्भाल रखा है लबों पे हँसी और आँखों मे सवाल रखा है ।। बात
Read Moreनिगाहों धुंध बेहद है घनी बदली सी छाई है दिल में दस्तक देती फिर से तन्हाई आई है ।। आब
Read Moreरूप कटीला , नयन नशीले , बांकी सी चितवन है !! तेरे बिन सूना है सब कुछ , यहां बसे
Read Moreरची बसी साँसों में हिंदी , हर दिल की धड़कन है ! हिन्द देश के हम रहवासी , हिंदी जीवन
Read Moreतू लाख कोशिश कर मुझे सताने की मैँ नही बनूंगी चीज अब तेरे सजाने की हुई खता जो इश्क़ कर
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