ग़ज़ल-2
रेत मुठ्ठी में बांधना बहुत मुश्किल है कि पानी का बुलबुला किसे हांसिल है वक्त को बांध ले ये किसने
Read Moreकब चाहते हैं पूजो भगवान की तरह से इंसान हैं तो चाहो इंसान की तरह से अख़बार हम नहीं हैं
Read Moreप्यार भर किस्सा सुनाया है मुझे फिर खिलौना सा बनाया है मुझे भर नजर जब भी तुझे देखा तभी हुस्न
Read Moreलिखेंगे गीत वफाओं के, जरा सी शाम ढलने दो लिखेंगे गीत दुआओं के, जरा सी शाम ढलने दो मौसम के
Read Moreजहरीली हवा घुटती जिंदगानी दोस्तो यही है नये दौर की कहानी दोस्तो पर्वतों पे देखो कितने बाँध बन गये जवां
Read Moreइस माहौल में गजलें कहना कितना मुश्किल है हर पल तिल-तिल जलते रहना कितना मुश्किल है जिसने पार किया हो
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