गज़ल
आ सवारें देश की तस्वीर को ।हम मिटा दें धीर बन हर पीर को ।। है हमारा ही सदा से
Read Moreकुछ दिनों से लगता है जैसे मैं नहीं रही खो गयी हूँ भीड़ भरे रास्तों पर फिर कहीं न कोई
Read Moreजिन्हें अपने क़रीब समझकर हमराज़ था बनाया, उनसे ही फासले साबित हुए इश्क़ मुक्कमल[1] कामिल[2] नहीं होता कि वादे मेरे
Read Moreन हो ख़फा, तू लौट आ, दूरियाँ मिटाने को । तू दे ज़हर, मेरे रक़ीब, मुझे बचाने को ॥ ग़ज़ब
Read Moreहोली खेलें पर नहीं डालें रंग किसी अनजान पर. मिलें प्रेम से रंग लगायें घर आए मेहमान पर. बच्चों के
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