ग़ज़ल
उसने जब जब घावों पर नश्तर रक्खाहमने अपने सीने पर पत्थर रक्खा आया है अनहोनी की जद के भीतरजिसने ख़ुद
Read Moreमाटी की सौंधी ख़ुशबू भी, जिनको लगती बू बास ज़रा,वो कहते हम लिखेंगे, अब इस धरती का इतिहास ज़रा।वेद पुराण
Read Moreबात बस इतनी सी है कि कुछ भी नहींये जो दुनिया है बस अपनी नहीं ! ख्वाबों की दुनिया बङी
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