सरसी छन्द : गीतआयी नवल प्रभात
आशा की स्वर्णिम किरणें फिर ,लायी नवल प्रभात । अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।। रंग
Read Moreआशा की स्वर्णिम किरणें फिर ,लायी नवल प्रभात । अब होगा उत्थान मनुज का ,तम पर कर प्रतिघात ।। रंग
Read Moreसत्तालोभियों के चक्कर में बेहाल हो गया है भाई देख लो अपने भारत का क्या हाल हो गया है भाई
Read Moreजो करें भंग शांति देश की , मत करना सम्मान । संदिग्धो का पता लगाकर ,चूर करो अभिमान । जो
Read Moreपल-पल रंग बदलती दुनिया में गिरगिट बने बिना रह सको, तो कोई बात बने. कुदरत की चहकती-महकती दुनिया की चहक-महक
Read Moreठहरा दिल है,धड़कनों की रफ्तार मगर जिंदा है दूर तुम हो दूर हम हैं प्यार मगर जिंदा है अब
Read Moreसुबह हुई है सिमट धुंध में ,ठिठुरन करती अगुआई । रंग सभी कुहरे में लिपटे ,शीत लहर यूँ गहराई ।
Read Moreअन्तर्द्वन्द्व विचारों के उठते-गिरते ज्वारभाटे मरती संवेदनाएं सिमटते रिश्ते बेचैनियां बदहवासियां वासनाएं वर्जनाएं पल प्रतिपल मन की तरंगे उनका प्रवाह
Read Moreनीर झील का हुआ विषैला, किसको अपनी व्यथा सुनाएं।। यहाँ विदेशी सुंदर पक्षी, आकर सबका मन बहलायें। मीठा खारा नीर
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