होली है
फाल्गुन प्यारा आया रे, कि खेलते होली हैं वृज की। क्योंकि बसंत बहार है।।••• वृज की जो होली कृष्ण ने
Read Moreरोम रोम में राम बसे हैं, धड़कन-धड़कन गीत। हमको तो ये सारी दुनिया, लगती है मनमीत।। ज़िन्दगी प्रीत प्रीत बस
Read Moreपास उर के मेरे है , मेरी वेदना । आँसुओं से सनी है मेरी कल्पना। हाय संदेह के विष से
Read Moreपरउपकारी जो नर होते, वही धरा सुख पाते। सदा यही कर्तव्य मनुज का, सभी धर्म बतलाते। तरुवर फल से लदे
Read Moreऔरों का हित करते-करते अपना हित रह जाता है. धीरे-धीरे बचा-खुचा जल अँजुरी से बह जाता है. जिसको अधिक चाहता
Read Moreहोली आई , होली आई , होली आई रे, रंग गुलाल सभी मिल खेलो, होली आई रे। अपनों को गले
Read Moreअपने जीवन को दिशा खुद दे कि अधिकारी है तू। गर्व से कहना सृजक है जननी है नारी है तू।।
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