“कनकइया की डोर तुम्हारे हाथो में”
आसमान का छोर, तुम्हारे हाथो में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथो में।। लहराती-बलखाती, पेंग बढ़ाती है, नीलगगन में ऊँची उड़ती
Read Moreआसमान का छोर, तुम्हारे हाथो में। कनकइया की डोर तुम्हारे हाथो में।। लहराती-बलखाती, पेंग बढ़ाती है, नीलगगन में ऊँची उड़ती
Read Moreकैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये नैनो में है नीर भरा ह्रदय में है तीर चुभा निराशा ने हर और
Read Moreपहले छाया बौर, निम्बौरी अब आयीं है नीम पर। शाखाओं पर गुच्छे बनकर, अब छायीं हैं नीम पर।। मेरे पुश्तैनी
Read Moreदूर गाँव में मेरा घर है । मेरा एक प्रवास शहर है। मेरे बचपन की कुछ यादें। अपने यारों के
Read Moreडर लगता है तन्हाई में फिर से लौट न जाऊँ मैं । मुझे नहीं मालूम, जमाने का दस्तूर पुराना है।
Read Moreमाँ को नमन करते हुए! — उँगली पकड़ हमारी माता, चलना हमें सिखाती है!! दुनिया में अस्तित्व हमारा, माँ के
Read More( आदरणीय मोदीजी से माफी के साथ एक निवेदन ) बड़े प्यार से तुमको चाहा हमने अपना माना था पर
Read Moreसूरज की भीषण गर्मी से, लोगो को राहत पहँचाता।। लू के गरम थपेड़े खाकर, अमलतास खिलता-मुस्काता।। डाली-डाली पर हैं पहने
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