पापों की तू रचना काली
बाहर से ही नहीं, सखी तू, अन्दर से भी काली है। पापों की तू रचना काली, कभी न बने घरवाली
Read Moreबाहर से ही नहीं, सखी तू, अन्दर से भी काली है। पापों की तू रचना काली, कभी न बने घरवाली
Read Moreतू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ। तू दिल का राजा, कहती, रानी, मैं तेरा चेरा
Read Moreथाम लो भुजपाश आकुल आ परिधि में प्राणधन, ताकते हैं नैन-खंजन आज त्रिज्या व्यास पर। अधखुले मृदुहास रंजित यदि पुकारें
Read Moreमातु कमलासिनी, दुष्टता नासनी, प्रीति संभाषणी, क्यों न हेरी। दम्भ
Read Moreहमसे आया न गया तुमसे बुलाया न गया कोरोना बीच में था दूर भगाया न गया हमसे आया न गया
Read Moreप्रेम की चाहत, सबको रहती, नर हो, या फिर नारी है। नर, नारी को, प्यारा है तो, नारी, नर को
Read Moreप्रेम अमर है, कभी न मरता, प्रेम, प्रेम का, जीवन है। प्रेम ही पथ है, प्रेम पथिक है, प्रेम ही,
Read Moreहम प्यार करते हैं, कितना! कभी किसी से कह न सके। साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम
Read Moreथा मानवता की पूजा कर चमन के रास्ते पर मैं मन को छोड़कर आया था धन के रास्ते पर मैं
Read Moreऊपर वह ही चढ़ पाता है, समय-समय जो झुकता है। चरैवेति सृष्टि की चाल है, समय कभी ना रुकता है।।
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