मुक्तक
मंजिल अगर गलत हो तो उस राह से बचिए चापलूसों की तारीफ से वाह-वाह से बचिए भगवान ने सबको दिए
Read Moreनेताजी का खेत है , अपना सारा देश। फ़सल उगाते साल भर, बदल – बदल कर वेश।।1। नेताजी के खेत
Read Moreसंग शारदा मातु के, लक्ष्मी और गणेश ! दीवाली को पूजते, इनको सभी ‘रमेश !! आतिशबाजी का नहीं, करो दिखावा
Read Moreबिगड़ा है पर्यावरण,बढ़ता जाता ताप ! ज़हरीली सारी हवा,कैसा यह अभिशाप !! पेट्रोल,डीजल जले,बिजली जलती ख़ूब ! हरियाली नित रो
Read More“दोहा द्वादसी” रावण के खलिहान में, चला राम का तीर। लंका का कुल तर गया, मंदोदरी अधीर।।-1 दश दिन
Read More“दोहा” झूठ मूठ का हास्य है, झूठ मूठ का व्यंग। झूठी ताली दे सजन, कहाँ प्रेम का रंग।। “मुक्तक” अजब
Read Moreकाव्य-गीत के मंच को , जिसने किया अशुध्द । उसको ना विद्या मिले, रहें सरस्वती क्रुध्द ।। फूहड़ता अब छोड़
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