हमीद के दोहे
आत्म प्रसंशा से नहीं, बनती है पहचान। सब करते तारीफ जब,तब मिलता सम्मान। पुख्ता होती है तभी, रिश्तों की बुनियाद।
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Read More:1: सुना है रोशनी के घर अंधेरों ने बसाये हैं, सुना है चांद तारे चांदनी से बौखलाए हैं, मुझे तुमसे
Read Moreसूरज की तरह लगे मुझे माँ का #आँचल, करता रहता रोशन मुझे हरदम, मैं सूरज ना सही चिराग़ बनकर तो,
Read Moreसभी दिखावा कर रहे , दिल से करें न काम। मिशन विज़न सब खेल हैं, फकत चाहते नाम। कूड़ा करकट
Read Moreसज्जनता का हो गया, दिन में सूरज अस्त। शठ करते हठयोग को, होकर कुण्ठाग्रस्त।। — नित्य-नियम से था दिया, जिनको
Read Moreप्यार की बातों को हमने प्यार समझा वो ग़लत था। साथ में था जो उजाला यार समझा वो ग़लत था।।
Read Moreदुनिया के हर देश में , बढ़ा रही है शान। भारतवालों के लिए , हिन्दी इक वरदान। जोर शोर से
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