दोहा
भाई से भाई करे, भीतर भीतर घात । दौरे-हाजिर देखिए, कैसी मानव जात ॥ माही
Read Moreबिगड़ा है पर्यावरण,बढ़ता जाता ताप ! ज़हरीली सारी हवा,कैसा यह अभिशाप !! पेट्रोल,डीजल जले,बिजली जलती ख़ूब ! हरियाली नित रो
Read Moreयुवा चेतना दे रहे,स्वामी जी सानंद ! था ‘विवेक’ पाया सदा,इसीलिये ‘आनंद’ !! किये काम,सो हैंअमर,सदा रहेंगे पास ! नव
Read Moreदो हजार सत्रह चला, छोड सभी का साथ ! हमें थमा कर हाथ में, नये साल का हाथ !! आने
Read Moreहर दौर के सिक्के, सँभालकर रखता हूँ, हो इतिहास की पडताल, ख्याल रखता हूँ। बुजूर्गों ने बीते दौर का, इतिहास
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