मुक्तक – हौसला
रेत की दीवार पर महल बना सकता हूँ, बहते पानी पर लिख कर बता सकता हूँ। मेरे हौसलों का अहसास
Read Moreरेत की दीवार पर महल बना सकता हूँ, बहते पानी पर लिख कर बता सकता हूँ। मेरे हौसलों का अहसास
Read Moreयह तो प्रति हुंकार है, नव दिन का संग्राम। रावण को मूर्छा हुई, मेघनाथ सुर धाम। मंदोदरी महान थी, किया
Read More★ दो दोहा मुक्तक ★ १ जरा बदल माँ तकदीर, नित पूजे तश्बीर चिन्ता हटा मन अधीर ,काम में कर्मबीर.
Read Moreबिखरी हो जब गंदगी,तब विकास अवरुध्द ! घट जाती संपन्नता,बरकत होती क्रुध्द !! वे मानुष तो मूर्ख हैं,करें शौच मैदान
Read Moreमेरी आँखों में देखा तो खो जायेगा ये सितम ही सितमग़र पे हो जायेगा कोशिशें ग़र हमारी मुसलसल रहीं एक
Read Moreबचा हुआ जो नेह है, उसको रहा सहेज। बुझने से पहले दिया, जलता कितना तेज।। क्या जायेगा साथ में, करलो
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