बैठी कर के सोलह शृंगार देखो
बैठी कर के सोलह श्रृंगार देखो रूप सलोना मन के उमंग देखो कजरारे आंखो से लज्जा झलकता है होठ के
Read Moreबैठी कर के सोलह श्रृंगार देखो रूप सलोना मन के उमंग देखो कजरारे आंखो से लज्जा झलकता है होठ के
Read Moreतुम बदल गयी हो यही कहते हैं न लोग तो सुनो हाँ मै बदल गयी हूँ जो सूर्य अस्त होते
Read Moreआज समस्या है बनी, धुंध हुआ विकराल। वायु प्रदूषण बढ़ गया,गंद बनी है काल।। काला धुआॅ छोड़ रहे,वाहन चारों ओर।
Read Moreपायल की रुनझुन की अपनी बोली है। कानों में मधुरस की प्याली घोली है।। कोयल फिर से बोल उठा है
Read Moreहर तरफ विवादों की गली है रिश्तों में दीमक लगने लगी है बिखरते रिश्ते उड़ता धुआं जलने की महक आने
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