चलना जरा संभल के
रास्ते हैं क़ाफ़िर मंजिलें हैं मुसाफिर मुश्किल बहुत सफर है चलना जरा संभल के चंचल बड़ी है मंजिल ठहरती नहीं
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Read Moreशरद पूर्णिमा की शरद रात में चमक चांदनी छिटकी हुई थी । कनक किरणों के मोह जाल में वियोगी वसुधा
Read Moreजीवन की शर्तों पर संगी हम रोबोट हुए हाँक रहा सूरज निज पथ पर उठ भिनसारे से । घर में
Read Moreदिल और जज्बात दोनों के दावे खोखले निकले अफसोस कि दोनों ही झूठे निकले। दिल ने ठाना था कि न
Read Moreतुम्हारा आना शाश्वत प्रिय तुम्हारा समय निश्चित है दिल की धड़कन घड़ी की सूईयों की तरह थँम जाएगी रूप, रंग,
Read Moreहिंदी की बिंदी लगे बिना, पूरा श्रृंगार नही होगा। बिन हिंदी के भारत कभी वैभवसम्पन्न नही होगा। अंग्रेजियत को दूर
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