हे केशव
हे केशव, हे मधुकर, हे कृपासिंधु देवकीनंदन, हे मुरलीधर, हे श्रीकृष्ण है तुमको शत बार नमन। भारत भू के नायक
Read Moreनिज आँचल में फूल सँजोके पर-पथ कांटो से भर डालो और सुनाओ दुनिया वालों । सुनने को दो कान मिले
Read Moreआओ मेरी प्रेयसि! जी भर मैं दुलराऊं। तेरा रूप मनोहर मेरे मन की जलधारा, तुम कुछ इतनी सुन्दर ज्यों फूलों
Read Moreदेखकर सूखे पत्ते की सूखी उभरी नसों को याद आ गई बूढ़ी माँ छोड़ आया था जिसे नितांत अकेला सूने
Read Moreबस आज में जीना है! चाँद शरमा जाता था और सितारे रंग बदलते थे मयखाने जाने से पहले ही कदम
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