आज समझ आया
आज समझ आया क्या होता है अपना और पराया जिसे अपना समझ जीती थी अंधविश्वास मे एक पल में टूट
Read Moreआज समझ आया क्या होता है अपना और पराया जिसे अपना समझ जीती थी अंधविश्वास मे एक पल में टूट
Read Moreनहीं लिखना मुझे अब कोई कविता या कहानी लिखने से क्या फायदा जब डायरी मे ही सिमट कर रह जाते
Read Moreरात दिन जो एक करते, एक रोटी के लिए। आज वो ही जन तरसते, एक रोटी के लिए। अन्न दाता
Read Moreजूते ले लो जोर से चिल्लाता बाजार में जा रहा था, अरे कोई भी ब्रांड चाहियें मुझे बताओ नेताओ, कवियों
Read Moreबेटी ने यह जग रचा,बेटी ने संसार । बेटी हम सब के लिये,ईश्वर का उपहार ।। बेटी है नेहिल नगर,बेटी
Read Moreज़िन्दगी को आज खाती है सुरा। मौत का पैगाम लाती है सुरा।। उदर में जब पड़ गई दो घूँट हाला,
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