पिता हि धर्म: पिता हि स्वर्ग:
धर्म सचल मूर्तिवत खड़ा निज पिता रूप से जीवन में स्वर्ग सदृश चरणों में लगता जीवन सदा सजीवन में यद्यपि
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Read Moreघर-द्वार के सुंदरता की शान है पिता संसार में हस्ती बड़ी महान है पिता क्या कर दूं बच्चों के लिए
Read More“पिता”@ एक विशालतम ह्रदय एक विशालतम व्यक्तित्व…. माथे पर न दिखने वाली शिकन मन में न दिखने वाली दर्द भरी
Read Moreग्रीष्म ऋतु में संगिनी सी, नीम की शीतल हवा। दोपहर में यामिनी सी, नीम की शीतल हवा। झौंसता वैसाख जब,
Read Moreहार नहीं सकते कभी , मन में ले विश्वास। जीत नहीं सकते कभी,शंका के बन दास। नागिन सी डसती रही,उसको
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