प्यार का गीत
नहीं कोई सुंदर है तुझ-सा ज़मी पर फलक पर,इधर पर,उधर पर,कहीं पर। कहाँ चाँद ने रूप तुझ-सा है पाया कभी
Read Moreनहीं कोई सुंदर है तुझ-सा ज़मी पर फलक पर,इधर पर,उधर पर,कहीं पर। कहाँ चाँद ने रूप तुझ-सा है पाया कभी
Read Moreकैसे कहूं मुंह से कहा ना जाये कि तुम बिन सावन आग लगाये । भीगा मौसम, भिगाये मन मेरा ठंडी
Read Moreचौथा स्तंम्भ से हूं विश्वास रखो अभी बहुत ईमानदारी भरा है, जो हर पल सच लिखने की चाहत करता है,
Read Moreहौसले का कद बढ़ाओ हौसलों के पंख लगा कर उड़ो, पर्वत की कलगी भी, तुम्हारा स्वागत करने को तैयार है,
Read More