कविता
नीरजा के सलिल तट पर, गा रहा पंछी अकेला! नहीं कोई दुःख जहाँ पर,नहीं है कोई झमेला । दूर तक
Read Moreहै मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन
Read Moreमै बंसत की बेला हूं, पतझड़ सा कठोर बहती पवन हूं पलको पर बिखरा सपनो वाला मन हूं, दो आंसू
Read Moreएक बात पुरानी है एक घटिया सोच पुरानी है, दिल तो रोया कब का था आंखों में फिर आज मेरे
Read Moreपरिवेश में , क्या-क्या नही बदला । हवा, पानी, पड़ौसी , मगर आपका मिजाज नही बदला । वो भी कभी
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