स्वार्थ
आगे बढ़ने की होड़ में बेकाबू हो गए हैं हम दब गई कहीं मानवता स्वार्थ की बढ़ी कतार एकदूसरे के
Read Moreबादल बना है फिर सवाली आसमाँ क्यों खाली-खाली किसने लूटा है गुलिस्तां को बिखरा हुआ है डाली-डाली किस-किस से करे
Read Moreराम मन्दिर मन को बना लो सब फसाद मिट जाएंगे काम क्रोध मद लोभ ये विकार छोड़ दो मन मन्दिर
Read More