परिवर्तन
रेत पर बने कदमों के निशां समुद्र की लहरों से मिटकर अथाह जल राशि में समा जाते हैं। फिर बन
Read Moreतुमने चाहा था मैं कुछ सीखूँ कुछ समझूँ कुछ सोचूँ पर जब मैंने कुछ सीखा कुछ समझा कुछ सोचा तब
Read Moreतुम समझते क्यों नहीं मुझ में भी जान है कहा न- सच में प्राण है मुझमें दर्द भी होता है
Read Moreकिसान के हाथ में कुदाल, न हो क्या होगा? सोचा है किसी ने, किसान जो हल चलाता है, मिट्टी से
Read Moreआये वतन पे खतरा वो जान भी लगा दो , ये मुल्क के जवानो जंग का ज़ूनून भर लो ,
Read Moreमेरी मा ने एक बार कहा था , बेटे जहा गणतंत्र का झंडा , फहराया जाये , 26 जनवरी को
Read Moreपल पल बीत गया इस वर्ष को सहेज कर यादों में । नव वर्ष का हदय से करे स्वागत महकती
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