व्यथित तरू
व्यथित तरू …………………. धरा पर जीवन के अंकुरण से सदैव रहा हूँ तत्पर असंख्य झंझावातों से लड़ता खड़ा रहा अडिग
Read Moreव्यथित तरू …………………. धरा पर जीवन के अंकुरण से सदैव रहा हूँ तत्पर असंख्य झंझावातों से लड़ता खड़ा रहा अडिग
Read More•गीत• आज ऐसा गलत तुम जतन मत करो,अपनी यादों को घर में दफ़न मत करो,मैंने आँसू की बूँदों से सींचा
Read Moreहमारे पास आना चाहिये था. उसे कुछ तो बताना चाहिये था. सही लगता वो चाहे चूक जाता, निशाना तो लगाना
Read Moreआज कलम चलने लगी है बेटी के अधिकार में, क्योंकि हार ज़माने की है हर बेटी की हार में, मैं
Read Moreआशुतोष वर देते, सारी पीड़ा हर लेते, सुरासुर देव शिव, सर्वहितकारी है | तन पे लगाएं भस्म, शिखर सजाएं चन्द्र,
Read Moreकितने क्षण और हैं तेरी प्रतीक्षा केे, रात्री की निद्रा पर अंकुश सा लग गया है, प्रेम के कारण मैं तुम्हें
Read Moreतेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ
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