“पहचान”
लौटी गीता अपने घर, है कितना सुन्दर अवसर उठों आज लौटा आये, जिसका सम्मान उसीके घर || लौटाने की होड़
Read Moreदिल में तस्वीर लिए राह से गुज़रते है हर चेहरे में तुझको तलाश करते हैं तुमने भुलाने की कसम खायी
Read Moreगीत बनकर सखी मै निभाती रही/ प्रीति मे सज सदा दिल सजाती रही/ रीति दुनिया मज़ा बन लुभाती शमा/ शाम
Read Moreखुशीयों भरा माहौल से, मैं घर से निकल रहा था। बाइक को चालू करके , रास्ते पर चल दिया था।
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